IL&FS बॉन्ड से 47 लाख डाक जीवन बीमा प्रभावित, 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम
PLI भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में 1 फरवरी 1884 में किया गया था। शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था।
इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) बॉन्ड का जहर छूत की बीमारी की तरह तेजी से फैल रहा है। इसका वायरस बचतकर्ताओं के अपेक्षाकृत बड़े निकायों तक फैल चुका है और यह आगामी आम चुनाव से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है। अब इस बॉन्ड में डाक जीवन बीमा (PLI) पॉलिसी धारकों के फंसने से सीधे तौर पर सरकार के लिए गंभीर चिंता पैदा होगी।
चिंता की बात यह है कि PLI पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी, जोकि अपने आप में बड़ी राशि है।
वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये थी, जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपये थी। मालूम हो कि यह जीवन बीमा का कारोबार है और यह सीधे तौर पर खराब बॉन्ड में फंसा है, जबकि निजी और पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से EPFO और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं। शीर्ष स्तर की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं। वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय EPFO में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं।
IL&FS के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं। इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि IL&FS समाधान योजना में सिक्यॉर्ड क्रेडिटर्स के सामने भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है।
चिंता की बात यह है कि PLI पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी, जोकि अपने आप में बड़ी राशि है।
वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये थी, जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपये थी। मालूम हो कि यह जीवन बीमा का कारोबार है और यह सीधे तौर पर खराब बॉन्ड में फंसा है, जबकि निजी और पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से EPFO और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं। शीर्ष स्तर की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं। वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय EPFO में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं।
IL&FS के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं। इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि IL&FS समाधान योजना में सिक्यॉर्ड क्रेडिटर्स के सामने भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है।
सबसे पुरानी बीमा कंपनी
PLI भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में 1 फरवरी 1884 में किया गया था। शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था। उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हैं। यह 1894 में डाक और संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई। यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है। PIL के पास 1884 में कुछेक सौ पॉलिसी थीं जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 46 लाख हो गई।
IL&FS बॉन्ड से 47 लाख डाक जीवन बीमा प्रभावित, 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम
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Sunday, February 24, 2019
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