डाक टिकटों की दुनिया भी अजीब रही इस को जितना समझा
है, आदमी उतना उलझा है क्योंकि हर टिकट कुछ कहता है मगर उसको समझ ने वाले शायद कम
हों रहे है तो आज मै आप को टिकट की उस अजीब दुनिया में लेकर जा रहा हु जो टिकट कभी
बोलता भी था और कोई सुनाता भी था मगर सोशल मिडिया ने केवल आज हमें संवेदन हिन् ही
नहीं बनाया बल्कि टिकटों की दुनिया भी वीरान कर गया |
क्या है डाक टिकट What is postal stamps
डाक टिकट वो कागज है जो डाक विभाग का प्रमाण पत्र
है जिसका अर्थ है इस का भुगतान किया जा चूका है और विभाग उस को एक नोट की तरह
मानता है तो मुख्यतय आयताकार होता है, इस का उपयोग डाक भेजने के लिये लिफाफे पर
चिपकाया जाता है | नीचे दिया गया टिकट आजाद भारत का पहला डाक टिकट था |
आजाद
भारत का पहला डाक टिकट First
postal stamps in independent india
जरा
सोचों की वो पल कितना गर्व योग्य रहा होगा जिस दिन भारत ने अपना डाक टिकट जारी किया
होगा और वो पल विभाग ने एक नये आजाद भारत की परिकल्पना साकार किया था भारत का पहला
डाक टिकट 21 नंवर 1947 को जारी हुआ,
इसका
उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिए किया गया। इस पर भारतीय ध्वज का चित्र और
जय हिन्द लिखा हुआ था। आजाद भारत का पहला डाक टिकट साढे तीन आना राशि का था! जी
सही पढ़ा आपने, साढ़े तीन 'आना' (तब
की प्रचलित मुद्रा) यानि चौदह पैसा |
15 अगस्त 1947 को
नेहरू जी ने आजादी के बाद, लाल किले से अपने पहले भाषण का समापन,
'जय
हिन्द' से किया। डाकघरों को सुचना भेजी गई कि नए डाक टिकट आने तक, डाक
टिकट चाहे अंग्रेज राजा जॉर्ज की ही मुखाकृति की उपयोग में आए लेकिन उस पर मुहर 'जय
हिन्द' की लगाई जाए। 31 दिसम्बर 1947 तक यही मुहर
चलती रही। आजाद भारत की पहली डाक टिकट पर भी जय हिन्द लिखा हुआ था और ।
प्राप्त सूचना
के अनुसार देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिए पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय
चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया। इसकी कीमत डेढ़ आना थी। इसी तरह विदेश में भेजे
जाने वाले पत्रो के लिए पहले डाक टिकट पर डीसी चार विमान का चित्र बना हुआ था,
उसकी
राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी।
First postal stamps in independent india आजाद भारत का पहला डाक टिकट
Reviewed by ADMIN
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Sunday, September 24, 2017
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