इनमें से कुछ बदलाव बजट 2018 में ही घोषित हो गए और अप्रैल 2018 से लागू भी हो गए. वहीं कुछ बदलाव बाकी के पूरे साल में हुए.
टैक्स नियमों को लेकर 2018 कई बड़े बदलाव वाला साल रहा. सैलरीड क्लास के लिए सरकार ने जहां बजट के जरिए कुछेक राहत देने की कोशिश की. वहीं, सीनियर सिटीजन से जुड़े टैक्स नियमों में भी बदलाव हुए. कुछ बदलाव बजट 2018 में ही घोषित हो गए और अप्रैल 2018 से लागू भी हो गए. वहीं, कुछ बदलाव बाकी के पूरे साल में हुए. आइए बताते हैं ऐसे ही 10 बदलावों और इनके आप पर पड़े असर के बारे में-
इनकम टैक्स पर 4 फीसदी सेस
बजट 2018 में इनकम टैक्स पर लगने वाले एजुकेशन एंड हेल्थ सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया.
बजट 2018 में सामने आए नए नियमों के तहत ऐसे NPS अकाउंट होल्डर जो सैलरी क्लास से नहीं हैं, अगर अपना अकाउंट क्लोज करते हैं तो उनको कुल फंड की 40 फीसदी राशि पर टैक्स नहीं देने का प्रावधान किया गया था. सैलरी क्लास के अकाउंट होल्डर्स को टैक्स में छूट की सुविधा पहले से मिल रही थी.
सीनियर सिटीजंस के लिए एक साल में हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम के तौर पर 50,000 रुपये का पेमेंट टैक्स फ्री किया गया. पहले यह सीमा 30,000 रुपये थी. हालांकि 60 साल से कम उम्र वाले लोगों के लिए सेक्शन 80D के तहत यह सीमा 25,000 रुपये है. 60 साल से ऊपर वालों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है.
अगर कोई इन्सान खुद 60 साल से कम का है और उसके माता-पिता 60 साल से ज्यादा के और वह अपने और माता-पिता दोनों का इंश्योरेंस प्रीमियम भरता है तो वह 50,000 रुपये के अतिरिक्त डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है. ऐसे में छूट कुल मिलाकर 75000 रुपये तक के पेमेंट पर होगी.
वहीं अगर किसी इंसान की खुद की और उसके माता-पिता की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो दोनों ही सूरतों में वह 50-50 हजार रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स छूट ले सकता है. ऐसे में कुल मिलाकर छूट 1 लाख रुपये तक रहेगी.
बजट में यह भी प्रावधान किया गया कि सीनियर सिटीजन अगर चुनिंदा गंभीर बीमारियों जैसे- कैंसर, मोटर न्यूरॉन डिसीज, एड्स आदि के इलाज पर एक वित्त वर्ष के अंदर 1 लाख रुपये तक खर्च करता है तो उसे इस खर्च पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा. पहले सीनियर सिटीजन के लिए यह रकम 60 हजार रुपये थी और 80 साल से अधिक उम्र के नागरिकों के लिए यह रकम 80,000 रुपये थी. वहीं जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं, उनके मामले में यह छूट 40000 रुपये तक की है.
उदाहरण के लिए, दो साल के इंश्योरेंस कवर के लिए 40,000 रुपये देने पर इंश्योरेंस कंपनी आपको हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 10% डिस्काउंट दे रही है. ऐसे में प्रस्तावित बदलावों के तहत आप दोनों साल 20-20 हजार रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
PAN कार्ड के मामले में हुए बदलाव
2018 में पैन कार्ड में कई बदलाव हुए. इसके तहत एप्लिकेशन फॉर्म में दो बार बदलाव किया गया. पहले बदलाव के तहत, फॉर्म में ट्रांसजेंडर के विकल्प को जोड़ा गया. दूसरे बदलाव में, अगर आवेदक की मां सिंगल पैरंट है, तो फॉर्म में पिता का नाम भरना अनिवार्य नहीं रह गया है. यह नियम पांच दिसंबर, 2018 को लागू हो गया.
इसके अलावा आयकर विभाग ने एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक का वित्तीय लेन-देन करने वाली नॉन-इंडीविजुएल एंटिटीज के लिए PAN कार्ड के लिए आवेदन करने को अनिवार्य कर दिया है. ऐसी एंटिटीज को अगले वित्त वर्ष की 31 मई तक PAM के लिए आवेदन कर देना होगा.
इसके अलावा कोई भी ऐसा व्यक्ति, जो एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन करने वाली नॉन-इंडीविजुअल एंटिटी का मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर, ट्रस्टी, लेखक, फाउंडर, कर्ता, सीईओ, प्रिन्सिपल ऑफिसर या ऑफिस बीयरर है या अन्य किसी भी तरह से ऐसी एंटिटीज की ओर से जिम्मेदार है और PAN नहीं रखता है तो उसे भी अगले वित्त वर्ष की 31 मई तक PAN के लिए अप्लाई करना जरूरी है
सैलरीड क्लास के लिए 40,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन
बजट 2018 में केंद्र सरकार ने सैलरी क्लास के लिए मेडिकल रिंबर्समेंट और ट्रांसपोर्ट अलाउंस की जगह 40,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान किया. इसके तहत सैलरीड क्लास की टैक्सेबल इनकम में से 40,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं.इनकम टैक्स पर 4 फीसदी सेस
बजट 2018 में इनकम टैक्स पर लगने वाले एजुकेशन एंड हेल्थ सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया.
इक्विटी में निवेश पर LTCG टैक्स
चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में प्रावधान किया गया कि शेयर बाजार या इक्विटी लिंक्ड फंडों मे निवेश पर एक साल में अगर 1 लाख रुपये से अधिक कमाई होती है तो इस पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) वसूला जाएगा. अगर आपके निवेश पर रिटर्न या प्रॉफिट एक साल में 1 लाख रुपये से कम है तो इस पर LTCG नहीं लगेगा.NPS से जुड़े टैक्स नियमों में हुए बदलाव
हाल ही में सरकार ने अगले वित्त वर्ष से NPS (National Pension Scheme) को EEE कैटेगरी में लाने का बदलाव किया है. इसका अर्थ है कि अब NPS के मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने या रिटायरमेंट पर NPS से की जाने वाली निकासी पूरी तरह से टैक्स फ्री होगी. इसके अलावा केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए NPS के तहत सरकार की ओर से दिया जाने वाला योगदान बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया है. अभी तक यह 10 फीसदी है. हालांकि कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 फीसदी ही रहेगा.बजट 2018 में सामने आए नए नियमों के तहत ऐसे NPS अकाउंट होल्डर जो सैलरी क्लास से नहीं हैं, अगर अपना अकाउंट क्लोज करते हैं तो उनको कुल फंड की 40 फीसदी राशि पर टैक्स नहीं देने का प्रावधान किया गया था. सैलरी क्लास के अकाउंट होल्डर्स को टैक्स में छूट की सुविधा पहले से मिल रही थी.
सीनियर सिटीजंस के लिए टैक्स के मामले में हुए 3 बदलाव
2018-19 के लिए बजट में प्रावधान किया गया कि सीनियर सिटीजंस को बैंक सेविंग्स डिपॉजिट, FD, RD और पोस्ट ऑफिस स्कीम्स से एक वित्त वर्ष में मिलने वाले 50,000 रुपये तक के इंटरेस्ट पर टैक्स नहीं देना होगा. पहले टैक्स से छूट की लिमिट 10,000 रुपये थी, जो अभी भी सीनियर सिटीजंस को छोड़कर अन्य टैक्सपेयर्स पर लागू है. 10000 रुपये तक के इंट्रेस्ट का टैक्स फ्री होने का प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के तहत था. बजट 2018 में नया सेक्शन 80TTB जोड़ा गया, जिससे वरिष्ठ नागरिकों के FDs और RDs से 50,000 रुपये तक मिला ब्याज टैक्स फ्री है.सीनियर सिटीजंस के लिए एक साल में हेल्थ इन्श्योरेंस प्रीमियम के तौर पर 50,000 रुपये का पेमेंट टैक्स फ्री किया गया. पहले यह सीमा 30,000 रुपये थी. हालांकि 60 साल से कम उम्र वाले लोगों के लिए सेक्शन 80D के तहत यह सीमा 25,000 रुपये है. 60 साल से ऊपर वालों के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया है.
अगर कोई इन्सान खुद 60 साल से कम का है और उसके माता-पिता 60 साल से ज्यादा के और वह अपने और माता-पिता दोनों का इंश्योरेंस प्रीमियम भरता है तो वह 50,000 रुपये के अतिरिक्त डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है. ऐसे में छूट कुल मिलाकर 75000 रुपये तक के पेमेंट पर होगी.
वहीं अगर किसी इंसान की खुद की और उसके माता-पिता की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो दोनों ही सूरतों में वह 50-50 हजार रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स छूट ले सकता है. ऐसे में कुल मिलाकर छूट 1 लाख रुपये तक रहेगी.
बजट में यह भी प्रावधान किया गया कि सीनियर सिटीजन अगर चुनिंदा गंभीर बीमारियों जैसे- कैंसर, मोटर न्यूरॉन डिसीज, एड्स आदि के इलाज पर एक वित्त वर्ष के अंदर 1 लाख रुपये तक खर्च करता है तो उसे इस खर्च पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा. पहले सीनियर सिटीजन के लिए यह रकम 60 हजार रुपये थी और 80 साल से अधिक उम्र के नागरिकों के लिए यह रकम 80,000 रुपये थी. वहीं जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं, उनके मामले में यह छूट 40000 रुपये तक की है.
सिंगल प्रीमियम बीमा पर ज्यादा टैक्स छूट
अगर आप कुछ साल तक लगातार इंश्योरेंस प्रीमियम भरते रहते हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कुछ डिस्काउंट देती हैं. पहले बीमा लेने वाले 25,000 रुपये तक की रकम पर ही टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते थे. लेकिन बजट 2018 में एक साल से ज्यादा के सिंगल प्रीमियम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर बीमा की अवधि के एक अनुपात के आधार पर टैक्स डिडक्शन दिए जाने का प्रस्ताव किया गयाउदाहरण के लिए, दो साल के इंश्योरेंस कवर के लिए 40,000 रुपये देने पर इंश्योरेंस कंपनी आपको हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 10% डिस्काउंट दे रही है. ऐसे में प्रस्तावित बदलावों के तहत आप दोनों साल 20-20 हजार रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
इक्विटी म्यूचुअल फंड के डिविडेंड पर टैक्स
अगर आपने इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड में निवेश किया है तो 1 अप्रैल 2018 से इक्विटी म्युचुअल फंड से मिलने वाले डिविडेंड पर भी 10 फीसदी का टैक्स देय है.PAN कार्ड के मामले में हुए बदलाव
2018 में पैन कार्ड में कई बदलाव हुए. इसके तहत एप्लिकेशन फॉर्म में दो बार बदलाव किया गया. पहले बदलाव के तहत, फॉर्म में ट्रांसजेंडर के विकल्प को जोड़ा गया. दूसरे बदलाव में, अगर आवेदक की मां सिंगल पैरंट है, तो फॉर्म में पिता का नाम भरना अनिवार्य नहीं रह गया है. यह नियम पांच दिसंबर, 2018 को लागू हो गया.
इसके अलावा आयकर विभाग ने एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक का वित्तीय लेन-देन करने वाली नॉन-इंडीविजुएल एंटिटीज के लिए PAN कार्ड के लिए आवेदन करने को अनिवार्य कर दिया है. ऐसी एंटिटीज को अगले वित्त वर्ष की 31 मई तक PAM के लिए आवेदन कर देना होगा.
इसके अलावा कोई भी ऐसा व्यक्ति, जो एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन करने वाली नॉन-इंडीविजुअल एंटिटी का मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर, ट्रस्टी, लेखक, फाउंडर, कर्ता, सीईओ, प्रिन्सिपल ऑफिसर या ऑफिस बीयरर है या अन्य किसी भी तरह से ऐसी एंटिटीज की ओर से जिम्मेदार है और PAN नहीं रखता है तो उसे भी अगले वित्त वर्ष की 31 मई तक PAN के लिए अप्लाई करना जरूरी है
2018 में इनकम टैक्स से जुड़े इन 10 नियमों में हुआ बदलाव, जानें आप पर कैसे पड़ा असर
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Tuesday, January 08, 2019
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