5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस

5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस


सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि पर यह सच है कि करीब 5 दशक पूर्व रेडियो सुनने के लिए भी लाइसेंस की जरूरत पड़ती थी और इसे बाकायदा भारतीय डाक तार विभाग जारी करता था। यह लाइसेंस उसी प्रकार का होता था, जिस प्रकार से आज वाहन चलाने, हथियार रखने या अन्य किसी काम के लिए लाइसेंस बनाना पड़ता है। रेडियो सुनने के लिए यह लाइसेंस भारतीय डाक विभाग, भारतीय तार अधिनियम 1885 के अंतर्गत जारी करता था और यह लाइसेंस डोमेस्टिक व कॉमर्शियल दो प्रकार का होता था।



5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस

 यानी घर पर बैठकर रेडियो सुनना है तो डोमेस्टिक और सामूहिक रूप से कई लोगों को रेडियो सुनाना है तो वह कॉमर्शियल। इसके साथ ही लाइसेंस पर निर्धारित शुल्क का आकाशवाणी लाइसेंस टिकट लगाकर इसे प्रतिवर्ष रिन्यूवल कराया जाता था और बिना लाइसेंस के रेडियो कार्यक्रमों को सुनना कानूनी अपराध माना जाता था। जिसमें आरोपी को वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933 के अंतर्गत दंडित किए जाने का भी प्रावधान था। लाइसेंस में रेडियो का मैक और मॉडल का भी उल्लेख किया जाता था। मौलासर क्षेत्र के भाडासर निवासी रामगोपाल मोर गुजरे जमाने को याद करते हुए बताते हैं कि उन दिनों लोगों में रेडियो सुनने का बड़ा क्रेज था। उनके बड़े भाई रामकरण मोर के नाम से रेडियो का लाइसेंस था। यह रेडियो कलकत्ता से लाया गया था और सन 1970 में जारी किया गया। जिसे बाद में सीकर, डीडवाना और धनकोली के पोस्ट ऑफिस में रिन्यू करवाया गया। कलकत्ता में लाइसेंस रजिस्ट्रेशन संख्या 5673 को एक साल बाद 2 रुपए आकाशवाणी लाइसेंस शुल्क की टिकट से रिन्यू कराया गया। आखिर में धनकोली पोस्ट ऑफिस में 11 फरवरी 1974 को साढ़े 7 रुपए शुल्क और सरचार्ज के 1 रुपए की टिकट से रिन्यू किया गया। 
5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस


आज भी सहेजकर रखा है रेडियो का लाइसेंस, बुजुर्गों ने बताई रेडियो से जुड़ी अपनी यादें गांव में 3-4 रेडियो: सुनने के लिए लगता था मजमा रामगोपाल मोर बताते हैं कि देश की आजादी के 3 दशक बाद भी रेडियो लोगों के लिए नई चीज था। गांव में एक आध-घर में रेडियो होता था और पूरा गांव शाम के समय इसे सुनने के लिए उस घर के बाहर जमा हो जाता था, जिनके पास रेडियो था। लोग रेडियो पर खबरें, राजस्थानी लोकगीत और खास दिन जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी या किसी त्योहार पर रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम चाव से सुनते थे। उस जमाने में रेडियो पर सबसे ज्यादा खबरों के बुलेटिन सुनने का चाव था। 


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5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस 5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस Reviewed by ADMIN on Monday, February 12, 2018 Rating: 5

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