5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस
सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि पर यह सच है कि करीब 5 दशक पूर्व रेडियो सुनने के लिए भी लाइसेंस की जरूरत पड़ती थी और इसे बाकायदा भारतीय डाक तार विभाग जारी करता था। यह लाइसेंस उसी प्रकार का होता था, जिस प्रकार से आज वाहन चलाने, हथियार रखने या अन्य किसी काम के लिए लाइसेंस बनाना पड़ता है। रेडियो सुनने के लिए यह लाइसेंस भारतीय डाक विभाग, भारतीय तार अधिनियम 1885 के अंतर्गत जारी करता था और यह लाइसेंस डोमेस्टिक व कॉमर्शियल दो प्रकार का होता था।
आज भी सहेजकर रखा है रेडियो का लाइसेंस, बुजुर्गों ने बताई रेडियो से जुड़ी अपनी यादें गांव में 3-4 रेडियो: सुनने के लिए लगता था मजमा रामगोपाल मोर बताते हैं कि देश की आजादी के 3 दशक बाद भी रेडियो लोगों के लिए नई चीज था। गांव में एक आध-घर में रेडियो होता था और पूरा गांव शाम के समय इसे सुनने के लिए उस घर के बाहर जमा हो जाता था, जिनके पास रेडियो था। लोग रेडियो पर खबरें, राजस्थानी लोकगीत और खास दिन जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी या किसी त्योहार पर रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम चाव से सुनते थे। उस जमाने में रेडियो पर सबसे ज्यादा खबरों के बुलेटिन सुनने का चाव था।
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5 दशक पहले तक जरूरी था रेडियो सुनने का लाइसेंस
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Monday, February 12, 2018
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