एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल

Ferdinand Cheval फ्रांस का एक डाकिया था जिसने अपने सपनों में देखा गया एक ऐसा महल बनाया जिसे देखने आज दुनिया भर से लाखों लोग जाते हैं. ये महल उसने अपने हाथों से एक एक पत्थर जोड़कर 34 सालों में बनाया. Ferdinand का जन्म 1836 में हुआ था. 13 साल का हुआ तो स्कूल छूट गया. फिर शादी हो गई और पोस्टमैन की नौकरी लग गई. बिलकुल किसी आम नौकरीपेशा जैसे आदमी का जीवन था उसका. हाँ, हर युवा की तरह वह भी सपने देखता था लेकिन उसे सपने में एक आलिशान महल दिखाई देता था जो उसका है.

एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल


पर हालात जैसे थे उस लिहाज से यह सपना भी बस सपना ही था. जैसे जैसे समय गुजरा गृहस्थी के बोझ में सपने दिखना भी बंद हो गया. वही सुबह घर से निकलना, घर घर जाकर डाक बांटना, शाम को घर आना. महीने पर तनख्वाह लेना और फिर अगले महीने का इंतज़ार करना.

एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल



बात 1879 की है जब वह 43 वर्ष का हो चुका था. एक शाम डाक बांटने के बाद वह अपने घर लौट रहा था तभी रास्ते में एक पत्थर से उसका पैर टकराया और वह लड़खड़ा गया. उसने देखा तो वहाँ एक विचित्र सी आकृति का छोटा सा पत्थर पड़ा हुआ था. दूसरा कोई होता तो शायद उस पत्थर को रास्ते से हटाकर एक ओर फेंक देता पर Ferdinand को न जाने क्या सूझा, उसने उस पत्थर को उठाया और घर ले आया.
एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल

अगले दिन जब वह फिर वहीं से गुजरा तो उस जगह रूककर उसने आसपास देखा तो वहाँ उसे और भी कई पत्थर पड़े हुए दिखाई पड़े. उसने फिर दो चार पत्थर उठाये और लेकर घर चला आया. घर आकर वह गौर से उन पत्थरों को देखता रहा. अचानक उसे लगा कि वर्षों पहले वह जो महल का सपना देखा करता था, वह कुछ ऐसे ही पत्थरों से बना हुआ था

बस फिर क्या था, उसे अजीब सा जूनून सवार हो गया. वह रोज अपनी ड्यूटी करने जाता और लौटते में पत्थर उठाता हुआ घर आता. उसने ठान लिया कि इन पत्थरों से एक महल बनाएगा.
एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल

फिर एक दिन उसे लगा कि इस तरह से पत्थर इकट्ठे करने में उसे बहुत वक़्त लगेगा. तो उसने एक पहिये वाला एक ठेला बनाया और उसमें पत्थर भर भर कर घर लाने लगा.
संक्षेप में कहें तो वह 34 वर्षों तक यही करता रहा. पत्थर उठाकर घर लाता. थोडा बहुत आराम करता और फिर उन पत्थरों से अपने सपने को मूर्त रूप देने में जुट जाता. रात रात भर लैंप की रौशनी में वह चूने और सीमेंट से पत्थरों को जोड़ता रहता.
एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल

34 वर्ष बाद उसकी मेहनत और समर्पण का जो फल सामने आया उसे आज दुनिया Ideal Palace के नाम से जानती है. इसे देखकर ये विश्वास करना मुश्किल है कि यह सिर्फ एक आदमी के परिश्रम और लगन का परिणाम है. एक डाकिया, जिसे शायद ही स्थापत्य और निर्माण कला का कोई अनुभव रहा हो, लेकिन उसके बनाए इस Ideal Palace में ईसाई से लेकर हिन्दू शैली तक के दर्शन किये जा सकते हैं. इसको लेकर फर्डीनांड ने खुद एक बार कहा –
“यह पैलेस कुदरत ने बनाया … मैंने तो सिर्फ एक राज मिस्त्री / कारीगर की तरह काम किया”
1924 में Ferdinand की मृत्यु हो गई. उसकी मृत्यु के बाद फ्रांस की सरकार ने उनके बनाए इस पैलेस को सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया. 1986 में Ferdinand Cheval की स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया गया.

(Source : Wikipedia)
एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल एक डाकिये ने 34 सालों तक एक-एक पत्थर जोड़कर बनाया था ये महल Reviewed by ADMIN on Sunday, January 28, 2018 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.