बजट 2018: टैक्स छूट, एनपीएस, इलाज खर्च में बड़े बदलाव संभव केन्द्रीय कर्मचारियों हो सकती है कई सौगाते

बजट 2018: टैक्स छूट, एनपीएस, इलाज खर्च में बड़े बदलाव संभव


2018 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2019 में तीन अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस बार बजट से उम्मीदें थोड़ी ज्यादा हैं।

बजट 2018: टैक्स छूट, एनपीएस, इलाज खर्च में बड़े बदलाव संभव



जानकार निवेश बढ़ाने के लिए 80 सी की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
यूनियन बजट को 1 फरवरी को पेश होगा। हर बार की तरह ही इस बार भी बजट (Budget) में करदाता, टैक्स कटौती, छूट और टैक्स सीमा की दृष्टि से टैक्स में कुछ राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। 2018 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2019 में तीन अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस बार बजट से उम्मीदें थोड़ी ज्यादा हैं। इनडारेक्ट टैक्स (Indirect Tax) के जीएसटी से बाहर होने के बाद अब बजट में सभी की नजरें डायरेक्ट टैक्स पर हैं। इसलिए इस बार पर्सनल फाइनेंस (Personal Finance) से जुड़ी उम्मीदें ज्यादा हैं। 
टैक्स छूट सीमा में वृद्धि
आमदनी और महंगाई में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपए की अधिकतम टैक्स छूट सीमा काफी कम लगती है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोग, इंश्योरेंस प्रीमियम, इक्विटी और प्रोविडेंट फंड में निवेश बढ़ाने के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 3 लाख रुपए किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
एनपीएस को ईईई श्रेणी में लाना
एनपीएस, छूट-छूट टैक्स श्रेणी के अधीन है। इसका मतलब है कि इस योजना से निकाली जाने वाली रकम पर टैक्स लगता है। एनपीएस को पीपीएफ का एक विकल्प मानते हुए जो कि ईईई श्रेणी में आता है, एनपीएस को भी ईईई श्रेणी में शामिल करना उचित होगा।
इलाज के खर्च में वृद्धि
इलाज के खर्च में लगातार हो रही वृद्धि की दृष्टि से, 15,000 रुपए की पूर्व निर्धारित चिकित्सा प्रतिपूर्ति सीमा काफी कम लगती है। यह सीमा, कई साल पहले तय की गई थी जो कि अभी के हिसाब से उचित या उपयुक्त नहीं है। करदाताओं को उम्मीद है कि इस सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दी जाएगी।
पूर्व-निर्माण ब्याज के लिए अलग कटौती सीमा तय करना
जब एक ऐसी अवधि के दौरान हाउस लोन पर ब्याज देने की बात आती है जिस समय घर बन रहा होता है तब आयकर अधिनियम, करदाताओं को उस वित्तीय वर्ष से पांच बराबर किस्तों में कटौती का दावा करने की अनुमति देता है जिस वित्तीय वर्ष में घर बनकर तैयार हो जाता है। अधिकांश करदाता इसका लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं क्योंकि इसे स्वाधिकार संपत्ति के मामले में 2 लाख रुपए की वार्षिक कटौती में शामिल किया जाता है। लेकिन एक साल में 2 लाख रुपए से ज्यादा ब्याज जुड़ जाने के कारण, पूर्व-निर्माण अवधि के दौरान दिए गए ब्याज के लिए कटौती की शायद ही कोई गुंजाइश रह जाती है। या तो भुगतान वर्ष में पूर्व-निर्माण ब्याज के लिए कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए या एक अलग सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।
पहली बार घर खरीदने वालों के लिए अतिरिक्त कटौती
सस्ते मकान दिलाने की दिशा में सरकार की तरफ से कई प्रयास किए जाने के बावजूद, एक घर खरीदना कई लोगों के लिए एक बहुत बड़ी बात है। आयकर अधिनियम की धारा 80EE के अनुसार, पहली बार घर खरीदने वालों को 50,000 रुपए की अतिरिक्त कटौती का लाभ मिलेगा जिनका हाउस लोन 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच मंजूर किया गया होगा। मार्च 2017 के बाद मंजूर किए गए होम लोन वाले घर खरीदारों को भी यह लाभ दिया जाना चाहिए।
फिक्स्ड डिपोजिट में इंडेक्सेशन लाभ देना
फिक्स्ड डिपोजिट की सुरक्षित प्रकृति को देखते हुए कई लोग अपने अल्पकालिक और मध्यकालिक निवेश के लिए फिक्स्ड डिपोजिट का सहारा लेते है, इस दृष्टि से टैक्स अकुशलता काफी अधिक है। यदि आप 7% की दर पर वाले फिक्स्ड डिपोजिट में निवेश करते हैं और आप 30% टैक्स सीमा में आते हैं तो टैक्स घटाने के बाद असल में आपको 4.9% ही मिलता है जिसमें महंगाई को मात देने या एक बड़ी रकम तैयार करने की क्षमता नहीं है। फाइनेंसियल सेवा प्रदान करने वाले लोगों का कहना है कि फिक्स्ड डिपोजिट से मिलने वाला रिटर्न, डेब्ट म्युचुअल फंड से मिलने वाले रिटर्न के समान होना चाहिए, जहाँ एक निवेशक से सिर्फ तभी टैक्स लिया जाता है जब वह
पैसे निकालता है। यदि उस पैसे को तीन साल बाद निकाला जाता है, तो इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20.6% पर दीर्घकालिक पूँजी लाभ पर टैक्स की गणना की जाती है।
एजुकेशन लोन चुकाने की समय सीमा को बढ़ाना
एजुकेशन लोन या शिक्षा ऋण पर दिए जाने वाले ब्याज को धारा 80E के तहत टैक्स कटौती के रूप में क्लेम किया जा सकता है। लेकिन, यह लाभ सिर्फ आठ साल के लिए उपलब्ध है। इस लाभ को 2006 में शुरू किया गया था जब पढ़ाई-लिखाई का खर्च अभी के खर्च से काफी कम था, इस बात को ध्यान में रखते हुए टैक्स कटौती की समय सीमा को बढ़ाना जरूरी है क्योंकि व्यक्ति को अपना एजुकेशन लोन चुकाने के लिए इससे ज्यादा समय की जरूरत पड़ सकती है।
टीडीएस सीमा को बढ़ाना
1997 में बैंक ब्याज के लिए टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) सीमा 10,000 रुपए तय की गई थी। उसके बाद से यह सीमा अभी तक नहीं बढ़ाई गई है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि इसे बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया जाएगा।
Source http://hindi.timesnownews. com
बजट 2018: टैक्स छूट, एनपीएस, इलाज खर्च में बड़े बदलाव संभव केन्द्रीय कर्मचारियों हो सकती है कई सौगाते बजट 2018: टैक्स छूट, एनपीएस, इलाज खर्च में बड़े बदलाव संभव केन्द्रीय कर्मचारियों हो सकती है कई सौगाते Reviewed by ADMIN on Wednesday, January 17, 2018 Rating: 5

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